साँसों में जब तक रफ़्तारी रहती है

15-03-2023

साँसों में जब तक रफ़्तारी रहती है

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

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साँसों में जब तक रफ़्तारी रहती है
प्यार मुहब्बत दुनियादारी रहती है 
 
मीठी फीकी कड़वी खारी रहती है 
उनके लब पर बात हमारी रहती है 
 
आग नहीं है दिल में चाहत की लेकिन 
सुलगी सुलगी इक चिंगारी रहती है
 
तुम रहते हो जब तक यां भंवरे बनकर
दिल की बगिया में फुलवारी रहती है
 
तेज़ नहीं चल पाते उलफ़त के क़िस्से 
चाल सदा इनकी सरकारी रहती है 
 
आँखों ने भी ख़्वाब को बुनना छोड़ दिया
और लबों पर पहरेदारी रहती है 
 
वादा केवल वो ही हैं पूरा करते
थोड़ी भी जिनमें ख़ुद्दारी रहती है

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