चले आना तेरे रस्ते में मैं पलकें बिछाऊँगी

01-02-2022

चले आना तेरे रस्ते में मैं पलकें बिछाऊँगी

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

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चले आना तेरे रस्ते में मैं पलकें बिछाऊँगी 
तेरे क़दमों की आहट सुनते ही मैं दौड़ आऊँगी
 
मुहब्बत के सभी आज़ार पिन्हां और गहरे हैं
अगर दिल चोट खा बैठा कहाँ मरहम लगाऊँगी
 
जो है इक ख़ास ही अंदाज़ तेरा बात करने का
भले कोशिश करूँ कितनी, नहीं मैं भूल पाऊँगी
 
कहाँ ख़ुशबू को कोई गुल कभी है क़ैद रख पाया
बिखर जाऊँगी दुनिया में, मैं भी ख़ुशबू लुटाऊँगी
 
दुआओं से वफ़ाओं से अदाओं से इरादों से
सजाऊँगी सलीक़े से मैं सब रिश्ते निभाऊँगी
 
रहेंगे राबिते हम में सदा ई मेल इंस्टा से
करूँगी कॉल तुझको फोन मैं अक्सर  मिलाऊँगी
 
ज़माने में भले तू कितना भी मसरूफ़ हो जाना
भरोसा है मुझे फिर भी मैं तुझको याद आऊँगी

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