हर जगह हर पल तुझे ही ढूँढती रह जाएगी

01-10-2020

हर जगह हर पल तुझे ही ढूँढती रह जाएगी

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 166, अक्टूबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

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हर जगह हर पल तुझे ही ढूँढती रह जाएगी
ज़िंदगी ये नाम की बस ज़िंदगी रह जाएगी
 
रंग अपना और ख़ुशबू सब लुटा कर जाएगा
फूल में कितने दिनों तक ताज़गी रह जाएगी
 
दूर कर शिक़वे शिकायत खोल कर दिल की गिरह
प्यार वाली बात दोनों में बनी रह जाएगी
 
तू बता दे काम क्या है बेख़ुदी में होश का
होश आने पर भला क्या आशिक़ी रह जाएगी
 
आज उड़ती फिर रही हैं ख़्वाब की सब तितलियाँ
कल यहाँ वीरान ख़्वाबों की नदी रह जाएगी

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