जो मिरे सामने नज़ारा है

01-03-2022

जो मिरे सामने नज़ारा है

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 200, मार्च प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

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जो मिरे सामने नज़ारा है 
कितना मख़सूस कितना प्यारा है
 
छा गई है जवानियां दिल पर 
जाने किस बात का इशारा है 
 
कैसे बर्बाद तुझको होने दें
हमने जी जान से संवारा है 
 
आग फिर इश्क़ की लगा देगा 
वो मिरी शाम का सितारा है 
 
जिंदगी ख़्वाब में नहीं आती
ये हक़ीक़त में आशकारा है 
 
वा भंवर भी नहीं हुआ कोई 
और खोया हुआ किनारा है 
 
हम तुझे भूल भी नहीं सकते
है तो दुश्मन मगर हमारा है

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