गो कहीं से भी ख़ुशी ले आओ मेरे वास्ते
कु. सुरेश सांगवान 'सरू’गो कहीं से भी ख़ुशी ले आओ मेरे वास्ते
परबतों से इक नदी ले आओ मेरे वास्ते
ये ज़मीं थोड़ी बची है लोग ज़्यादा हो गए
आसमाँ से कुछ ज़मीं ले आओ मेरे वास्ते
रोज़ काँटों पे चली मैं और खेली आग से
चाँद से कुछ चाँदनी ले आओ मेरे वास्ते
आरज़ू अहसास उल्फ़त मैं नहीं पहचानती
आ भी जाओ ज़िंदगी ले आओ मेरे वास्ते
ज़िंदगी टूटी कली सी सूख जाएगी मिरी
फूल जैसी ताज़गी ले आओ मेरे वास्ते
फिर चलाएँगे मुहब्बत की नदी में कश्तियाँ
दुश्मनों से दोस्ती ले आओ मेरे वास्ते
देखता दिल का परिंदा बादलों के पार अब
अब ज़रा आवारगी ले आओ मेरे वास्ते
तंग दिल कुछ संगदिल ज़ालिम यहाँ के लोग हैं
बावलों से कुछ हँसी ले आओ मेरे वास्ते
आसमानी रंग वाला शर्ट इक अपने लिए
सूट नीला रेशमी ले आओ मेरे वास्ते
दिल बहुत है मैं लिखूं ग़ज़लें तुम्हारे इश्क़ में
पंख वाली लेखनी ले आओ मेरे वास्ते
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