चमकते चाँद सी मुस्कान फूलों सी हँसी उसकी 

15-05-2023

चमकते चाँद सी मुस्कान फूलों सी हँसी उसकी 

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

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चमकते चाँद सी मुस्कान फूलों सी हँसी उसकी 
अगर बिटिया न हो घर में तो खलती है कमी उसकी
 
बिना उसके हमारी ज़ीस्त वंचित है उजालों से 
हमारे हर तरफ़ रहती है हर पल रोशनी उसकी
 
उसे आज़ाद कर दो वो उड़ेगी आसमानों में 
ज़मीं के ज़र्रे-ज़र्रे पर चलेगी लेखनी उसकी 
 
न उस जैसा कहीं भी दूसरा देखा ज़माने में 
हमारी हर ख़ुशी होकर रहेगी अब ख़ुशी उसकी 
 
न बाँधो पाँव में उसके ये ज़ंजीरें ग़ुलामी की 
वो जैसे चाहे जीने दो कि है ये ज़िंदगी उसकी

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