ख़ुदा की मेहरबानी या कोई इकराम समझेंगे 

15-02-2023

ख़ुदा की मेहरबानी या कोई इकराम समझेंगे 

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 223, फरवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

ख़ुदा की मेहरबानी या कोई इकराम समझेंगे 
करेंगे हम नहीं अफ़सोस बस ईनाम समझेंगे
 
ज़माने के तभी सारे ग़मो-आलाम समझेंगे 
कभी जब हम मुहब्बत से लिखे पैग़ाम समझेंगे 
 
चुने हैं हम ने ख़ुद ही इश्क़ में दुश्वार ये रस्ते
झमेले भी अगर होंगे तो हम आराम समझेंगे
 
मिला दो या ख़ुदा उनसे तमन्ना है यही अपनी
कहेंगे राधिका ख़ुद को उन्हें घनश्याम समझेंगे 
 
समझ लो फ़र्ज़ अपना और जिम्मेदारियाँ अपनी 
रहेंगे सब सुखी जब अपना-अपना काम समझेंगे

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