अश्क जब नैनों में आने लगते हैं 

15-05-2023

अश्क जब नैनों में आने लगते हैं 

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 229, मई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

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अश्क जब नैनों में आने लगते हैं 
क्यूँ सितारे झिलमिलाने लगते हैं
 
रोने लगती हूँ ज़रा सी बात पर 
मुस्कुराने में ज़माने लगते हैं
 
ज़िंदगी के साथ चलते हैं सदा 
दर्द भी अब तो खज़ाने लगते हैं 
 
जब बिखरती है तमन्ना टूटकर 
ज़िंदगी में रंग आने लगते हैं
 
जब भी तुम होते हो मेरे आस-पास 
तब सभी मंज़र सुहाने लगते हैं
 
प्यार का एहसास दिल में उठते ही 
हम ख़ुशी से गुनगुनाने लगते हैं

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