माँ है इक छोटी सी दुनियाँ
कु. सुरेश सांगवान 'सरू’माँ का मतलब केवल प्यार नहीं होता
माँ है इक छोटी सी दुनियाँ
सारा संसार नहींं होता
मेरे आँचल से कहीं बड़ी है दुनियाँ तेरी
मुझसे आगे दूर खड़ी है दुनियाँ तेरी
आँखों में ख़्वाब सुनहरे होंगे
रस्ते अंधे बहरे होंगे
कहीं तेज़ धूप का मंज़र होगा
कहीं ख़ार कहीं पर खंज़र होगा
मुस्कान भरे चेहरों के पीछे
जाने कैसा पसमंज़र होगा
मीठी होगी बात ज़ुबाँ पर
तीखा दुनियाँ का तेवर होगा
मिलने वाला हर सामान तो
उपहार नहींं होता
माँ का मतलब केवल प्यार नहींं होता
माँ है इक छोटी सी दुनियाँ
सारा संसार नहींं होता
आँधी तुमको चट्टान करेगी
गर्द-ए-सफ़र की ना कर परवाह
मंज़िल ख़ुद तेरी पहचान करेगी
मेरी ख़्वाहिश है इतनी सी
लिखे पढ़े तू ऊँचा सोचे
जीस्त का क्या है मुद्दा सोचे
तू ही मेरी रंग-ए-किरन, मौज-ए-मगन है
शीरीं-सुखन और रश्क-ए-चमन है
ये जो माँ का प्यार है
इसमें कभी व्यापार नहींं होता
माँ का मतलब केवल प्यार नहींं होता
माँ है इक छोटी सी दुनियाँ
सारा संसार नहींं होता
तुम्हें होगी शिकायत ये कि मैंने सख्तियाँ की हैं
कभी ज़बां से कड़वा सा कुछ कभी ख़ामी बयाँ की हैं
मेरे हाथों में छेनियाँ तुम्हें तराशने तलक़ थीं
बस तेरी दुनियाँ सँवारने तलक़ थीं
तेरे गुलशन में ख़ुश्बुएँ उतारने तलक़ थीं
वो सख़्तियाँ मुझको भी रंजूर करती थीं
मेरी बुलबुल मैं तुम्हीं पे जीती मरती थीं
क्यूँकि थी तेरी तर्बियत लाज़िम
अदब की दुनियाँ में तुम्हारी अहमियत लाज़िम
बिना तहज़ीब बिना तालीम सुनो बेटा
अदब-ओ-इल्म-ओ-फन में निखार नहींं होता
माँ का मतलब केवल प्यार नहींं होता
माँ है इक छोटी सी दुनियाँ
सारा संसार नहींं होता
बस इक आख़िरी मेरा
ये बेटी मशवरा सुन लो
गई बातें और बीता ज़माना भूल जाओ तुम
हमारा साथ यहीं तक है
नए रिश्ते बनाओ तुम
नई मंज़िल नई राहें चुनो और
नए गुलशन खिलाओ तुम
मसाइल ज़िंदगी के ज़िंदगी भर कम नहींं होंगे
अकेली होगी तुम लाडो
मगर तब हम नहींं होंगे
मगर साथ तेरे वो
हमारी तर्बियत होगी
दुआ माँगी है रब से कि
तुम्हारी ख़ैरियत होगी
सबक़ जो मैंने सिखलाए
वो तेरी शहरियत होगी
तर्बियत काम आती है जब कोई ग़मगुसार नहींं होता
माँ का मतलब केवल प्यार नहींं होता
माँ है इक छोटी सी दुनियाँ
सारा संसार नहींं होता
1 टिप्पणियाँ
-
Bahut khoobsurat Realy touched my heart
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