अगर सारा ज़माना चाहिए था

15-08-2022

अगर सारा ज़माना चाहिए था

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

1222     1222     122
 
अगर सारा ज़माना चाहिए था
तुझे पहले बताना चाहिए था
 
ज़माने में हमें इक दूसरे का
समझ में दर्द आना चाहिए था
 
ये पुल उम्मीद का ज़र-ज़र पड़ा है 
ये अब तक टूट जाना चाहिए था 
 
जला डाला उन्हें सूरज ने जिनको 
उजालों का ख़ज़ाना चाहिए था 
 
नमक छिड़का है ज़ख़्मों पर उसी ने 
जिसे मरहम लगाना चाहिए था 
 
 हिसाबों से नहीं चलती ये दुनिया 
मुहब्बत से चलाना चाहिए था 
 
भरोसे क्यूँ रहे तक़दीर के हम
हुनर भी आज़माना चाहिए था

1 टिप्पणियाँ

  • 14 Aug, 2022 02:11 AM

    very nice ,Heart touching . keep it up.

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