निभाने को रिश्ता झुका तो बहुत हूँ

01-07-2023

निभाने को रिश्ता झुका तो बहुत हूँ

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 232, जुलाई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

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निभाने को रिश्ता झुका तो बहुत हूँ
मैं जीवन में पागल बना तो बहुत हूँ
 
कभी ढूँढ़ पाया न मंज़िल मैं कोई 
मगर ये भी सच है चला तो बहुत हूँ
 
अँधेरे नहीं मिट सके ज़िंदगी के
दिया बन के यारों जला तो बहुत हूँ
 
नहीं इल्म मुझको किसी बात का है
मगर पाठशाला गया तो बहुत हूँ
 
बुरा हूँ कि अच्छा ये तुम ही बता दो
में नज़रों में अपनी खरा तो बहुत हूँ
 
ज़माने की शय पर लुटाया है ख़ुद को
मैं जीने की ख़ातिर मरा तो बहुत हूँ

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