हम पुकारा किए ज़िंदगी ज़िंदगी

01-08-2022

हम पुकारा किए ज़िंदगी ज़िंदगी

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

212  212    212   212
 
हम पुकारा किए ज़िंदगी ज़िंदगी 
और करते रहे ख़ुदकशी  ख़ुदकशी
 
क्यूँ रुके ही नहीं आप उसके लिए
जिसने आवाज़ दी हमनशीं हमनशीं
 
दीप उल्फ़त के हरसू जलाते चलो
चाहते हो अगर रोशनी रोशनी
 
हर कोई लड़ रहा जंग तन्हाई से 
हों भले हर तरफ़ आदमी आदमी 
 
जाने किस दर्द ने दिल में घर कर लिया 
आँख रहती है अब शबनमी शबनमी 
 
मर गई रूह या कट गई है ज़ुबां 
किस क़यामत की है बेकसी  बेकसी 
 
दुश्मनी जो निभाते रहे उम्र भर
हमसे कहते रहे दोस्ती दोस्ती 

सुरेश सांगवान 'सरु '

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