आप आये तो बहारों के ज़माने आए 

01-09-2022

आप आये तो बहारों के ज़माने आए 

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

2122    1122    1122       22
 
आप आये तो बहारों के ज़माने आए 
चाँद तारे भी यहाँ दीप जलाने आए
 
सिर्फ़ इज़्ज़त से लियाक़त से करी थीं बातें 
मुफ़्त में हाथ मुहब्बत के ख़ज़ाने आए
 
सोचती हूँ कि गिराया है मुझे किस किस ने
और वो कौन थे जो मुझ्को उठाने आए
 
 हमने पूछी थी कोई राह फ़क़त जीने की
और वो मरने की तरकीब बताने आए
 
इक दफ़अ उनको ज़रा मुस्कुरा के क्या देखा
तीर सब हम पे सवालों के चलाने आए
 
एक चिंगारी की जिनको भी ख़बर पहुँची वो 
ले के नफ़रत की हवा आग लगाने आए

1 टिप्पणियाँ

  • 27 Aug, 2022 04:38 PM

    Bahut bahut khoob, lajawab gazal ke liye badhai.

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