दिल का राज़ छुपाना था

01-01-2020

दिल का राज़ छुपाना था

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 147, जनवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

दिल का राज़ छुपाना था
सबसे बचकर आना था


तितली की फ़रमाइश पर
गुल को तो मुस्काना था


घर क्या था इक मंदिर था
सबका आना जाना था


कुछ जाँबाज़ परिंदों को 
सर पर अर्श उठाना था


हाथ मिलाने जो आया
उसको गले लगाना था


हम अलमस्त फ़क़ीरों का 
बोलो कहाँ ठिकाना था

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