ख़ूबसूरत याद जब तन्हाई को महका गयी

15-12-2021

ख़ूबसूरत याद जब तन्हाई को महका गयी

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 195, दिसंबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

2122   2122     2122    212
 
ख़ूबसूरत याद जब तन्हाई को महका गयी
बाग़ ए दिल में यकबयक ही प्यार की रुत छा गयी
 
जिस वफ़ा से जिस अदा से पेश आया हाय वो
क्या बताऊँ किस क़दर मुझ को वो आदत भा गयी
 
आप-बीती जो सुनाई इस जहां के रू-ब-रू
घूम फिर के बात सारी फिर हमीं तक आ गई
 
ख़्वाब के गुलशन में आकर ज़िंदगी की बेबसी
इश्क़ वाले आसमां के दायरे समझा गई
 
ये ज़माने की हवा ज़ालिम है कैसी ए 'सरू '
एक झोंके ही से मेरा आशियां बिखरा गई

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
नज़्म
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में