एक अदृश्य आदमी

01-11-2025

एक अदृश्य आदमी

प्रवीण कुमार शर्मा  (अंक: 287, नवम्बर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

एक अदृश्य आदमी
हर आदमी के अंदर
छुपा हुआ रहता है। 
एक आदमी जो
बाहरी रूप से
चलता, बोलता और काम
करते दिखता है। 
ऐसा आदमी हर किसी को
ही दिखता है
इसमें कुछ भी अलग नहीं है
लेकिन इसके इतर
एक आदमी अदृश्य भी होता है
जो हर आदमी के अंदर निराकार
बैठा हुआ होता है
और वही अदृश्य आदमी
उस बाहरी रूप से दिखने वाले
आदमी को चलवाता, बुलवाता और
काम करवाता है॥

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