आज तक किसका किस के बिना काम बिगड़ा है? 

01-10-2022

आज तक किसका किस के बिना काम बिगड़ा है? 

प्रवीण कुमार शर्मा  (अंक: 214, अक्टूबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

आज तक किसका किस के बिना काम बिगड़ा है? 
इसी मतिभ्रम में हमेशा इंसान रहा है।
हम जो लोगों से उम्मीद लगाते हैं
वे कब तुम्हारी उम्मीदों पर खरा उतरते हैं? 
रे मन! इतना तू जान ले
ख़ुद की उम्मीदों से ही तू बस काम ले। 
जीत ख़ुद की ख़ुद से ही होती आयी है
ग़ैरों से तो सिर्फ़ दिल्लगी होती आयी है। 
इस दुनिया का अजीब दस्तूर है
प्रिय से प्रिय के चले जाने के बाद भी
पीछे रह जाने वाले अपने ही मद में चूर हैं। 
इसलिए, 
रे मन! मोह के धागे तू काट ले
ख़ुद का ख़ुद से ही तू काम ले। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
लघुकथा
कहानी
सामाजिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें