आज तक किसका किस के बिना काम बिगड़ा है?
प्रवीण कुमार शर्माआज तक किसका किस के बिना काम बिगड़ा है?
इसी मतिभ्रम में हमेशा इंसान रहा है।
हम जो लोगों से उम्मीद लगाते हैं
वे कब तुम्हारी उम्मीदों पर खरा उतरते हैं?
रे मन! इतना तू जान ले
ख़ुद की उम्मीदों से ही तू बस काम ले।
जीत ख़ुद की ख़ुद से ही होती आयी है
ग़ैरों से तो सिर्फ़ दिल्लगी होती आयी है।
इस दुनिया का अजीब दस्तूर है
प्रिय से प्रिय के चले जाने के बाद भी
पीछे रह जाने वाले अपने ही मद में चूर हैं।
इसलिए,
रे मन! मोह के धागे तू काट ले
ख़ुद का ख़ुद से ही तू काम ले।