दुःख गिने भी नहीं जाते

01-10-2025

दुःख गिने भी नहीं जाते

प्रवीण कुमार शर्मा  (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

दुःख गिने भी नहीं जाते
दुःख कहे भी नहीं जाते। 
दुःख सिर्फ़ महसूस किए जाते हैं
और हर बार जीने के लिए ये भुलाए भी जाते हैं। 
तमाम दुआएँ देने या लेने के बाद भी
निष्ठुर नियति के द्वारा दुःख दिए जाते हैं। 
इंसानों के लिए ये दुःख अटल हैं
और हर हाल में ये सहे जाते हैं॥

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