अगर हृदय हो जाये अवधूत
प्रवीण कुमार शर्माजीवन छोटा सही
नसीबा खोटा सही।
हम फिर भी ज़िंदादिली
दिखाएँगे उस शैतान को।
शैतान ही बना देता है
जानवर इंसान को।
इस दुनिया में अकेले ही आये थे
अकेले ही जायेंगे।
जो लिया वह यहीं से लिया
जो देना है वह यहीं देना है।
हम बेवज़ह फँस जाते हैं
शैतान के मायाजाल में।
हम वंदे हैं उस परवरदिगार के
यह हम भूल जाते हैं
मोह के बंधन में फँस जाते हैं।
मेरा भी प्रण है
शैतान को हराना है।
प्रेम से दुनिया को करना है अपने वशीभूत
मोह को करना है पराभूत
मोक्ष भी आसान हो जाता है
अगर हृदय हो जाये अवधूत॥
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