बचपन की यादें

15-07-2024

बचपन की यादें

प्रवीण कुमार शर्मा  (अंक: 257, जुलाई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

बचपन की यादें 
कभी कभी व्यथित कर देती हैं
तो कभी कभी उदास चेहरे पर 
मुस्कुराहट भी बिखेर देती हैं।
 
ज़िन्दगी का बेफ़िक्र काल
बचपन ही तो है
मासूमियत और अज्ञानता से
सराबोर दर्पण ये बचपन ही तो है। 
 
दर्पण की तरह कमज़ोर भी है
तो पारदर्शिता का प्रतीक भी है बचपन
बालमन को झकझोरने वाला 
यादों का अमिट प्रभाव है बचपन। 
 
कुछ भी सही जीवन के आँगन में
यादों की बरसती हुई फुहार है बचपन। 

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