आज के ज़माने में

01-03-2023

आज के ज़माने में

प्रवीण कुमार शर्मा  (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

आज के ज़माने में
किसी के सामने
अपनी ग़लती
स्वीकारने का मतलब
भौंकने वाले कुक्कुरों
के सामने हड्डी फेंक
देने के जैसा है। 
वे तुम्हारा इस्तेमाल उसी तरह
करते हैं
जैसे कुक्कुर
हड्डी को लेकर भौं भौं
करते हैं। 
वे तब तक भौंकते रहेंगे जब
तक कि तुम उनको आँख नहीं
दिखा देते
या फिर
उनके साथ उन जैसा
व्यवहार नहीं जता देते। 
तुम जब उनको
घुड़की देते हो तो
वे वहीं सहम कर रह जाते हैं। 
नहीं तो
वे तुम्हारी स्वीकारी गयी
ग़लती को भर भर हाथ लेते हैं
तथा उस ग़लती को
उछालने के लिए पुरज़ोर
प्रयास भी करते हैं
लेकिन वो ग़लती
एक मौसम में
अपना असर दिखाकर
बेअसर हो जाती है
ठीक बरसाती कुकुरमुत्ते की तरह। 

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