तेरी संगत से ही राहत होती है

15-08-2020

तेरी संगत से ही राहत होती है

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 162, अगस्त द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

तेरी संगत से ही राहत होती है
बस तेरी क़ुरबत की हसरत होती है

 

सबको करनी हैं अपने मतलब की बात
किसको किसकी ख़ातिर फ़ुरसत होती है

 

बात सुनी जाती है पैसे वालों की
मुफ़लिस की तो बात मुसीबत होती है

 

वक़्त पड़ा तो काम न आई जो तेरे
मानो तुम बेकार वो दौलत होती है

 

धन अपना अपने हाथों से दान करो
देखो कितनी शान-ओ-शौक़त होती है

 

तौर तरीक़े जीने के न्यारे न्यारे
सबकी अपनी अपनी क़िस्मत होती है

सुरेश सांगवान 'सरु'
 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
नज़्म
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में