साथ गर आपका नहीं होता

01-10-2020

साथ गर आपका नहीं होता

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 166, अक्टूबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

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साथ गर आपका नहीं होता 
ज़िंदगी में मज़ा नहीं होता 
 
तू ज़रा देख कर निकल घर से 
हर तरफ़ रास्ता नहीं होता
 
झूठ को सच ही मान लेते गर
रू-ब-रू आइना नहीं होता 
 
लोग हैं ज्ञान से भरे फिर भी
सब को सब कुछ पता नहीं होता 
 
बात अपनों की आ गई यारो 
इसलिए फ़ैसला नहीं होता 
 
आ गया गुल कोई नज़र वरना
रंग ये आपका नहीं होता

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