परवाने को उधर ही गुज़ारा दिखाई दे

01-12-2020

परवाने को उधर ही गुज़ारा दिखाई दे

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 170, दिसंबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

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परवाने को उधर ही गुज़ारा दिखाई दे
आता हुआ जिधर से उजाला दिखाई दे
 
अपना तो जिंदगी में तज़रबा यही रहा
जो प्यार जानता है वो प्यारा दिखाई दे
 
दिल के मुआमले में जहाँ तक दिखा मुझे
वीरान बस्तियों का इलाक़ा दिखाई दे
 
हैं रंग बेहिसाब कहानी में इश्क़ की
हँसता दिखाई दे कोई रोता दिखाई दे
 
ए इश्क़ किस बशर से मैं पूछूँ तिरा मकाँ
कोई तो इस गली का शनाशा दिखाई दे
 
समझो उड़ा सका न किसी ख़्वाब की पतंग
जो दूसरे की बात उड़ाता दिखाई दे
 
ज़िंदा रहेंगे हम तो तभी तक जहान में
जीने का कोई नेक इरादा दिखाई दे

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