मृत्यु

प्रवीण कुमार शर्मा  (अंक: 178, अप्रैल प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

परम पिता से मिलने का
अनूठा उत्सव है मृत्यु
जीवन का महत्त्व समझाने का
नाम है मृत्यु
 
हम माँ के पास तो रहते ही हैं
पिता का भी तो मन करता है
हम से मिलने का;
पिता-पुत्र के उस अमर,
किन्तु क्षणिक,
संगम का नाम है मृत्यु
 
जीवन को नवीन परिधान
पहनाने का नाम है मृत्यु
फीनिक्स की तरह मर मिट कर
पुनः निर्मित होने का अवसर है मृत्यु
 
जीवन बहुत बड़ा सही
पर क्षणिक शांति का नाम है मृत्यु.
जीवन के प्रति वफ़ा का
पैग़ाम है मृत्यु
 
अटल, अविराम, अविनाशी
ईश्वराज्ञा का पालन है मृत्यु
अतः प्रभु से मिलन के इस
समारोह का आनंद
यानी मोक्ष द्वार है मृत्यु

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