मज़े में सुहाना सफ़र कीजिए 

01-08-2019

मज़े में सुहाना सफ़र कीजिए 

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’

मज़े में सुहाना सफ़र कीजिए 
ज़मीं पर कभी चाँद पर कीजिए

 

कहाँ शाम गुज़रे कहाँ शब ढले
कहाँ सुबह से दोपहर कीजिए

 

तरीक़ा समझ में न आया कभी 
ज़माने में कैसे बसर कीजिए

 

निकलता नहीं ख़्वाब दिल से तिरा
गई रात अब तो सहर कीजिए

 

अगर चाहते हो नतीजा कोई 
मुलाक़ात फिर मुख़्तसर कीजिए

 

कुचल दो अना को ज़मीं के तले 
किसी के लिए चश्म-ए-तर कीजिए 

 

मिला दें अगर ख़ाक़ में बिजलियाँ 
नया घर उसी ख़ाक़ पर कीजिए 

 

नहीं होश अपना ए यारो हमें
ख़ुदा को हमारी ख़बर कीजिए 

 

ज़मीं पर जो क़ुत्बी सितारा बने 
उसी को मिरा राहबर कीजिए

 

सलीक़ा अजी ये सभी को नहीं
कहाँ आप अर्ज़-ए-हुनर कीजिए

 

निभानी पड़ेगी मुहब्बत "सरू "
अगर कीजिए या मगर कीजिए

3 टिप्पणियाँ

  • 6 Aug, 2019 04:44 PM

    Bahut bahut khoob,daad kubool karein

  • 22 Jul, 2019 03:14 PM

    Excellent !!! Congratulations on this creation

  • 20 Jul, 2019 01:27 PM

    Nice.

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
नज़्म
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में