इस गली में न उस डगर जाएँ

01-01-2021

इस गली में न उस डगर जाएँ

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

2122         1212         22
 
इस गली में न उस डगर जाएँ
प्यार की राह पर बिखर जाएँ
 
बेअसर हो गई दवा उनकी 
दे मुझे अब वही ज़हर जाएँ
 
कुछ नया और कुछ पुराना है
आज सारा हिसाब कर जाएँ
 
पा सके जो न प्यार की राहें 
ये बता दो कि वो किधर जाएँ
 
कुछ हमारे उसूल हैं वरना
हम भी उनकी तरह मुकर जाएँ
 
चैन आता नहीं कहीं मुझको 
है जिन्हें राहतें वो घर जाएँ
 
काश के आज इन बहारों के 
रंग दिल में सभी उतर जाएँ
 
छोड़ सारी ख़राब आदत हम 
है तमन्ना के अब सुधर जाएँ

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
नज़्म
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में