चरागाँ ये सूरज सितारे न होंगे

15-08-2019

चरागाँ ये सूरज सितारे न होंगे

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’

चरागाँ ये सूरज सितारे न होंगे
कहानी है मेरी उजाले न होंगे

 

जहाँ से अकेले ही लड़ना पड़ेगा 
तिरे साथ बिटिया सहारे न होंगे

 

कहाँ से मिलेगी महक ज़िंदगी की
मकाँ में खुले गर दरीचे न होंगे 

 

मशीनों से चलता है संसार सारा 
बने हाथ के अब निवाले न होंगे 

 

मुलाक़ात की बात होती नहीं है 
अजी फ़ोन से तो गुज़ारे न होंगे

 

दिखाकर मुहब्बत करेंगे छलावा 
सभी लोग तो हम सरीखे न होंगे

 

चलेगी अभी तो इशारे पे दुनियाँ  
सदा सरबुलंदी पे तारे न होंगे

 

रिहाई नहीं क़ैद चाहे दिवाना  
खुले आसमाँ पे ठिकाने न होंगे


अभी गीत गाती है बुलबुल चमन में
अभी टूटकर फूल बिखरे न होंगे

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