डुबोया मुझको होने ने मैं न होता तो क्या होता! 

15-12-2023

डुबोया मुझको होने ने मैं न होता तो क्या होता! 

शैलेन्द्र चौहान (अंक: 243, दिसंबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

सूचना प्राप्त हुई है मेरी रचना 
फ़लाँ पत्रिका में छप रही है॥
संपादक का आभार
सूचना मिली है कि अकादमी के 
एक कार्यक्रम में मुझे भाषण देना है॥
अकादमी के अध्यक्ष, सचिव और 
कार्यक्रम संयोजक का आभार
सूचना मिली है मेरी किताब 
फ़लाँ प्रकाशक छाप रहा है॥
प्रकाशक का आभार
सूचना मिली है कि मेरी किताब पर 
एक पत्रिका में समीक्षा छपी है॥
संपादक और समीक्षक का बहुत बहुत आभार
सूचना मिली कि मुझे एक 
पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है॥
पुरस्‍कारदाताओं का अत्यधिक आभार
अनेक सूचनाएँ हैं जो मैं से शुरू होती हैं और 
मैं पर ही ख़त्म होती हैं
 
मेरा जन्मदिन, विवाह, विवाह की वर्षगाँठ
मेरे बेटे, बेटी, पोते, पोती, नाती, नातिन 
सबके किसी दिन पर या 
उपलब्धि पर शुभकामनाओं की आकांक्षा
बीमार होने पर स्वास्थ्य लाभ के लिये दुआओं की अपेक्षा
माता-पिता या किसी संबंधी की मृत्यु पर सहानुभूति की अपेक्षा
अपने बारे में सबकुछ दूसरों को बता देने की बलबती इच्छा
निःसंकोच जारी है फूहड़ता की हद तक
(काँइयाँपन और स्वार्थ के अलावा)
 
निज प्रदर्शनप्रियता
दिखावटी, सतही और भोथरी संवेदनाएँ
व्यक्तित्व का हल्कापन, अगंभीरता, गरिमा का क्षरण
समाज के स्वास्थ्य के लिये चिंता का सबब हैं
मानसिक स्वास्थ्य की चिंताजनक मनोवैज्ञानिक स्थिति है
सृजनात्मकता के ह्रास की सूचक हैं
बचा जा सकता है इससे
संवेदना हवा में उछालने की चीज़ नहीं है
दूसरे को समझने और हौसला देने से 
संप्रेषित हो जाती है सहज ही

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
साहित्यिक आलेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
आप-बीती
यात्रा-संस्मरण
स्मृति लेख
ऐतिहासिक
सामाजिक आलेख
कहानी
काम की बात
पुस्तक समीक्षा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में

लेखक की पुस्तकें