सावन का आया मौसम . . .
नरेंद्र श्रीवास्तवसावन का आया मौसम, कैसे मस्त नज़ारे।
मैं तुझको पुकारूँ प्रिया, तू मुझको पुकारे॥
नीला-नीला अंबर,
काली घटायें।
हरी-हरी धरती पे,
सौंधी हवायें॥
ऐसे में भीगें हम-तुम, संग वर्षा-फुहारे।
नाचे मोर, पपीहा,
कोयल गा रही।
छमाछम बूँदें बरस,
सरगम सुना रही।
बेताब हुआ ये मौसम, तेरी राह निहारे।
भींजेंगे, झूमेंगे,
मस्ती करेंगे।
प्रीत रंगी वादियाँ,
हसीन करेंगे।
फूलों से भरे बाग़ मेंं, कभी नदिया किनारे।
सावन के झूले में,
सपने झूलेंगे।
चाहत की बाँहों में,
अरमा झूमेंगे।
बन प्रीत मेंहदी, चंदन, काजल नज़र उतारे।
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