फिज़ा प्यार की
नरेंद्र श्रीवास्तव
बाट जोहती फिज़ा प्यार की, देर न कर तू आने में।
सजा लिया है पथ फूलों से, ख़ुश्बू से महकाने में॥
होंगे पल अनमोल हमारे,
साथ-साथ हम-तुम होंगे।
ख़ुशियों का अंबार लगेगा,
दूर सभी हर ग़म होंगे॥
ज़र्रा-ज़र्रा मचल उठा है, हर पल को चमकाने में।
तू ही साँसों की ख़ुश्बू है,
आशाओं का मधुवन है।
स्वप्न सजीले तितली जैसे,
तू ही सुरमय चितवन है॥
तुझसे ही बातें कर कल्पित, खोया मन बहलाने में॥
रग-रग में रस भरा प्रेम का,
रब ने है उपहार दिया।
तुझसे प्रीत लगी शुभ ही शुभ,
भाग्य जगा, उपकार किया।
हुए समाहित तुझमें अरमां, सारी उमर बिताने में॥
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