हलधर नाग का काव्य संसार

हलधर नाग का काव्य संसार  (रचनाकार - दिनेश कुमार माली)

चेतावनी 


 
अब हमारी सरकार, 
नहीं दरकार विदेशी चास 
भारत की मिट्टी हुई पथरीली, 
जीव हो गए नाश 
छोड़ विदेशी धंधा, 
आँखें होने के बाद भी बनाते अंधा 
छोड़ विदेशी धंधा, 
हमें खिलाते मीठे कंधा
छोड़ विदेशी धंधा . . . 
उच्च उपज योजना के नाम पर 
पूरे देश को पिला दी घुट्टी 
रसायन, कीटनाशकों से 
प्रदूषित हुआ जल, वायु, मिट्टी, 
रोग-बीमारी से आधी उम्र में हो जाता मरण 
रोग-बीमारी से खोखला होता हमारा तन, 
रोग-बीमारी से . . . 
उर्वरक, कीटनाशक, 
बीज बेचती विदेशी कंपनी, 
मीठे गुड़ का आनंद लेती, 
सभी का धन चूसती
किसान के गले में फाँसी का फँदा, 
सिर पर हाथ बारहमास 
किसान के गले में फाँसी का फँदा, 
होता भिखारी बनने को विवश, 
किसान के गले में फाँसी का फँदा . . .
लाखों जीवों को पोसते कहाँ मिलेंगे वे किसान 
ऋण में डूबकर माँगते फिर सरकारी ऋण 
देखें उनकी दुर्दशा, 
बाँस की तरह भीतर से पोला; 
देखें उनकी दुर्दशा, 
किसान लगता जैसे बैंगनी गोला, 
देखें उनकी दुर्दशा . . .
छोड़ रसायनिक खाद, कीटनाशक, 
हाइब्रिड धान, गाय-गोबर से करो चास, 
झूली, सुना काठी, मागुरा, संपरी, करणी, तुलसीवास 
स्वच्छ भारत हो, विदेशियों को कराओ पलायन; 
स्वच्छ भारत होगा तो टिकेंगे हमारे मूल्य-महान, 
स्वच्छ भारत हो। 

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