हलधर नाग का काव्य संसार

हलधर नाग का काव्य संसार  (रचनाकार - दिनेश कुमार माली)

ज़रा सोचो

 

चोरी-ज़ारी करें या परहित, 
झूठ बोलें या सत, 
ज़रा सोचो 
सर्वव्यापी ईश्वर है तेरे भीतर। 
 
पोड़पीठा खाओ या कूँड़ा पीठा, 
गोरस पीओ या माँड, 
ज़रा सोचो 
पेट में जाते ही हो जाते सब बराबर। 
 
सुंदर दिखो या कुरूप 
बिस्तर पर सोओ या फ़र्श पर 
ज़रा सोचो 
अंत में कीड़े-मकोड़ों का भोजन बनेगा यह शरीर 
 
अमीर हो या भूखे कंगाल, 
कुटुंबी हो या अकेले, 
ज़रा सोचो; 
आए हो अकेले, जाओगे भी अकेले। 

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