हलधर नाग का काव्य संसार

हलधर नाग का काव्य संसार  (रचनाकार - दिनेश कुमार माली)

लाभ

 

पहले कुछ बीज बोते किसान 
फिर धान के खेतों की देखभाल 
कटाई के बाद वह फिर करता हिसाब 
छोटी-सी शुरूआत, मगर अच्छा लाभ। 
 
कुछ मूल धन लेकर, 
जाता बनिया करने व्यापार
फिर लेन-देन का जवाब, 
उसे भी मिला काफ़ी लाभ। 
 
घने जंगल में ऋषि की साधना, 
बिन हवा-पानी करता वह ध्यान
मूल-धन उसका भक्ति-भाव 
ईश्वर उसका भविष्य का लाभ। 
 
क़लम से कवि लिखता है कविता, 
कितना देखा, कितना अनदेखा 
पढ़े-लिखे जब पढ़ते हैं उनको 
उनकी प्रशंसा ही उनका लाभ। 
 
लाभ-हानि जीवन का खेला, 
खेल ख़त्म, जब ख़त्म वेला, 
लोग जो भी चाहते लाभ, 
दाता देता उसे पूरा भाग। 

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