फूल और तोता
नरेंद्र श्रीवास्तवमहका फूलों से मधुवन।
खिला फूल सा तोता-मन॥
तोता बैठा फूलों के पास।
भूल थकान, न रहा उदास॥
सोच रहा जल्दी घर जाऊँ।
मित्र और परिजन ले आऊँ॥
सबको मधुवन खूब घुमाऊँ।
रंग-बिरंगे फूल दिखाऊँ॥
सोच रहे हैं सारे फूल।
तोता राह गया है भूल॥
कितना सुंदर लगता प्यारा।
भूखा भी होगा बेचारा॥
आते लोगों की आहट से।
तोता फुर्र हुआ तब झट से॥
बच्चो!तुम भी सीखो,जानो।
ख़ुशी और पीड़ा पहचानो॥
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