धड़कन-धड़कन साँसें महकें
नरेंद्र श्रीवास्तवजब-जब मेरे पास रहा तू, वो हसीन पल जीवन मेरे।
जब-जब मुझसे दूर रहा तू, वो बोझिल पल जीवन मेरे॥
कभी दूर तो कभी पास रह,
जीवन ज्यूँ धूप और छाया।
कभी खिला-सा पुष्प रहा मैं,
कभी रहा मुरझा-मुरझाया॥
तनहाई में तपा-जला मैं, वो अगन पल जीवन मेरे।
कभी जिया तो कभी मरा-सा,
जीवन ने हर रूप दिखाया।
कभी बहारें सावन जैसी,
पतझड़-सा मौसम भी पाया॥
कभी पूस-सी ठंडी ठिठुरन, कभी वसंत पल जीवन मेरे।
बहुत हुआ दो तरहा जीवन,
अब बाहों में झूमें गायें।
ऐसे मिलें, बिछड़ें न कभी,
जीवनभर की चाहत पायें॥
धड़कन-धड़कन साँसें महकें, हों सुगंध पल जीवन मेरे।
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