ये जो मेरा वतन है

15-02-2020

ये जो मेरा वतन है

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 150, फरवरी द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

ये जो मेरा वतन है,
ये जान से प्यारा वतन है।
आज अपनी ही ज़मीं है,
आज अपना ही गगन है।


अपनी हवा में साँस ले,
अपनी हवा मे गुनगुनाएँ।
अपने नियम अपने तरीक़े,
नित हमें आगे बढ़ाएँ।


रहते यहाँ हिंदू मुसलमाँ,
सदा से ही नेह से।
नित सुनाती कुरां भी,
अरु वेद ध्वनि हर गेह से।


हम सब अगर झगड़ें कभी,
पर वक्त पर हैं एक होते।
है अजब सी एकता,
हम विश्व को सन्देश देते।


हम भूल सकते ना कभी,
जो देश हित बलि चढ़ गये।
जिनकी कठिन क़ुर्बानियों से,
आज हम सब बढ़ गये।


बदनीयत से गर देख ले,
कोई हमारे देश को ।
माँ भारती की शपथ है,
क्षण भर बचे ना शेष वो।


ये जो मेरा वतन है,
ये जान से प्यारा वतन है।
आज अपनी ही ज़मी है 
आज अपना ही गगन है।

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