बैरी सावन 

01-08-2022

बैरी सावन 

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

हाय रे आया बैरी सावन 
आवन कह गए आये न साजन। 
भूल गए हैं मेरे साजन। 
आवन कह गए आये न साजन। 
 
रहती हूँ मैं खोई खोई। 
रोग लगा है जैसे कोई। 
कब से न मैं तो चैन से सोई। 
रात दिवस मेरी अँखियाँ रोई। 
 
सुनी है सेजिया सूना आँगन। 
भूल गए हैं मेरे साजन। 
हाय रे आया बैरी सावन। 
आवन कह गए आये न साजन। 
 
नागिन जैसी डसती रतियाँ। 
वो बालम की मीठी बतियाँ। 
दिल जलता है रोये अँखियाँ। 
ढाढ़स देती सारी सखियाँ। 
 
कजरा घुलता जाए प्रीतम। 
सौतन ने क्या रोके बालम? 
हाय रे आया बैरी सावन। 
आवन कह गए आये न साजन। 

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