सच्चा श्राद्ध
सुषमा दीक्षित शुक्लाप्रिय पूर्वज हमसे दूर हुए,
श्रद्धांजलि उन्हें समर्पित है।
वे ईशधाम में जा बैठे,
भावांजलि उनको अर्पित है।
प्रभु उनको ना कोई कष्ट मिले,
मिल जाए मुक्ति उन पुरखों को।
जिनकी पावन स्मृतियों से,
मन भारी है पर गर्वित है।
आओ श्रद्धांजलि भेंट करें,
सब प्यारे पुरखों को अपने।
उनकी स्मृतियों को हृदय लगा,
अब पूर्ण करें उनके सपने।
शुचि नेह मिलेगा पितरों का,
जिनसे जन्मों के नाते हैं।
करते हैं तर्पण तारण हित,
प्रभु जिनको बुला लिया तुमने।
यदि जीते जी सेवा की नहीं,
बस मरने पर श्राद्ध मनाते हैं।
ऐसी संतानें हैं कुल कलंक,
मृत पुरखों को बहलाते हैं।
यदि देनी सच्ची श्रद्धांजलि,
है प्यारे पुरखों को अपने।
पुरखों के सपने पूर्ण करो
वे अच्छी राह दिखाते हैं।
यह वन्दन है अभिनंदन है,
यह ही पुरखों का है तर्पण।
उनकी स्मृतियों को हृदय लगा,
श्रद्धा के सुमन करो अर्पण।
तब पूर्वज भी होंगे प्रसन्न,
पा सच्चे प्रेम समर्पण को।
जो देते थे आशीष हमें
वो मरकर भी प्रेम निभाते हैं।