छत्रपति शिवाजी 

01-03-2022

छत्रपति शिवाजी 

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 200, मार्च प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

वीर शिवाजी की गाथाएँ, 
बचपन से सुन आये हैं। 
भारत के उस महापुरुष की, 
अनुपम शौर्य कथाएँ हैं। 
 
नैनों में जलती थी ज्वाला, 
सीने में था शौर्य भरा। 
तन था अद्भुत कोहिनूर सा, 
अंतर्मन सौंदर्य भरा। 
 
जीजाबाई योद्धा के सुत, 
वीर शिवाजी महा महान। 
पिता शाहजी के सपूत वह, 
वह थे इस धरती की शान। 
 
वीर पुरुष की गाथा सुनकर, 
साहस भरता सीने में। 
जीवन हो तो वैसा ही हो, 
वरना क्या है जीने में। 
 
शौर्य पुत्र की विजय पताका, 
भारत माँ फहराई थी। 
स्वयं शक्ति माँ दुर्गा ही फिर, 
उनको लेने आयी थी। 
 
शत शत नमन उन्हें करते हैं, 
जिनकी नम्य प्रथाएँ हैं। 
वीर शिवाजी की गाथाएँ, 
बचपन से सुन आये हैं। 

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