हाँ मैं श्रमिक हूँ 

15-05-2022

हाँ मैं श्रमिक हूँ 

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

मैं श्रमिक हूँ हाँ मैं श्रमिक हूँ। 
समय का वह प्रबल मंज़र, 
 
भेद कर लौटा पथिक हूँ। 
मैं श्रमिक हूँ हाँ मैं श्रमिक हूँ। 
 
अग्निपथ पर नित्य चलना, 
ही श्रमिक का धर्म है। 
 
कंटको के घाव सहना, 
ही श्रमिक का मर्म है। 
 
वक़्त ने करवट बदल दी, 
आज अपने दर चला हूँ। 
 
भुखमरी के दंश से लड़, 
आज वापस घर चला हूँ। 
 
मैं कर्म से डरता नहीं, 
खोद धरती जल निकालूँ। 
 
शहर के तज कारखाने, 
गाँव जा फिर हल निकालूँ। 
 
कर्म ही मम धर्म है, 
कर्म पथ का मैं पथिक हूँ। 
 
समय का वह प्रबल मंज़र, 
भेद कर लौटा पथिक हूँ। 

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