गङ्गे मइया

15-11-2022

गङ्गे मइया

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 217, नवम्बर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

अमृत है तेरा निर्मल जल, 
हे! पावन गङ्गे मैया। 
हम सब तेरे बालक हैं, 
माँ पार लगा दो नैया। 
 
अब सारे पाप मिटा दो, 
हे! पापनाशिनी मैया। 
दुःख क्लेश हटा सारे, 
हे! पतित पावनी मइया। 
 
भागीरथ के तप बल से, 
इस भू पर आई मैया। 
शंकर जी के जटाजूट से, 
तुम हुई प्रवाहित मैया। 
 
हे! जान्हवी हे! मोक्षदायिनी 
बन जाओ तुम्हीं खेवइया। 
सगरसुतों की तारण हारी
भव पार लगा दो मैया। 
 
सुख समृद्धि धरती पर, 
तुमसे ही होती मइया। 
मर कर तुमसे ही मिलते
हम तेरे शिशु हैं मैया। 
 
माँ शरण तुम्हारी आये, 
हे! मुक्तिदायिनी मइया। 
अमृत है तेरा निर्मल जल, 
हे! पावन गङ्गे मैया। 

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