कान्हा

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

सीख लिया है तुमसे कान्हा, 
मैंने भी मुस्काना। 
स्वयं कठिन जीवन जीकर के, 
गीता ज्ञान सिखाना। 
 
राधा जी से सीख लिया है, 
कान्हा मेंं रम जाना। 
मीरा जी से सीख लिया है, 
प्यार के गीत सजाना। 
 
सीख लिया है तुमसे कान्हा, 
मैंने प्रेम तराना। 
इस दुनिया में आकर केवल, 
सीखा प्यार लुटाना। 
 
सीख लिया है तुमसे कान्हा, 
हँस कर दुःख सह जाना। 
औरों की ख़ुशियों के ख़ातिर, 
न्यौछावर हो जाना। 
 
सीख लिया है तुमसे कान्हा, 
मैंने भी मुस्काना। 
स्वयं कठिन जीवन जीकर के, 
 गीता ज्ञान सिखाना। 

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