माँ की अलमारी

15-05-2022

माँ की अलमारी

डॉ. आरती स्मित (अंक: 205, मई द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

(प्रेषक: अंजु हुड्डा
 
तुम्हारी माँ ने 
ख़ाली कर दी अलमारी 
निकाल दिए बाहर 
गहने और ज़रूरी दस्तावेज़ भी 
 
वह सजा रही उसमें 
तुम्हारे मेडल और ट्रॉफियाँ 
छोटे–बड़े खिलौने 
और 
चित्रकथाएँ भी 
 
वह मुस्कुरा रही है 
ख़ुशी छलक रही आँखों से 
बटोर लिए हैं उसने 
अपने जीने के साधन 
 
अब, वह अकेली नहीं! 
उसकी दुनिया में बसा है 
तुम्हारे बचपन का संसार! 
माँ अलमारी में ताला लगा रही है। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कहानी
पत्र
कविता
ऐतिहासिक
स्मृति लेख
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कहानी
किशोर साहित्य नाटक
सामाजिक आलेख
गीत-नवगीत
पुस्तक समीक्षा
अनूदित कविता
शोध निबन्ध
लघुकथा
यात्रा-संस्मरण
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में