01-01-2024

वक़्त ने जो परिस्थितियाँ बुनीं। विश्व स्तर पर शांति और सौहार्द के सम्मेलन के बावजूद स्वयं को प्रभुत्वशाली दिखाने की होड़ में जो जान-माल  की हानि होती है, वे सब निर्दोष नागरिक होते हैं या फिर आदेश पालन करती सेना।  कलम को लकवा मार गया, कविता ज़ख़्मी हालत में पड़ी रही। उस ज़ख़्मी कविता से कवयित्री का संवाद।