छुट-पुट अफ़साने . . . एपिसोड–49

15-03-2024

छुट-पुट अफ़साने . . . एपिसोड–49

वीणा विज ’उदित’ (अंक: 249, मार्च द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

अतीत की स्मृतियों की कुछ ऐसी तरंगे भी हैं जो याद आने पर मेरे वर्तमान में फ़ुर्ती भर देती हैं जिससे मेरा आत्मविश्वास जाग उठता है। 

कुछ ऐसी ही अविश्वसनीय घटनाएँ आज आपको सुनाती हूँ, जिनकी कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी। 

हुआ यूँ कि गर्मी आते ही . . . रवि जी हमेशा की तरह कश्मीर की वादियों की ओर चल पड़े थे और मैं बच्चों से मिलने अमेरिका की ओर प्रस्थान कर गई थी। सीधे लॉस एंजेलिस रोहित दिशा के पास। 

हॉलीवुड के सारे स्टूडियोz सीऐनऐन टीवी चैनल, डिज़्नी चैनल, कोलंबिया पिक्चर्स, स्टार मूवीस, एचबीओ चैनल, सोनी पिक्स के ऑफ़िस रोहित के घर के पास ही थे। 10 मिनट में हम हॉलीवुड मध्य-नगर में पहुँच जाते थे! हम तीनों घूमने गए तो मैं वहाँ हॉलीवुड की प्रसिद्ध “स्टार स्ट्रीट” (Star Street) पर हॉलीवुड स्टार माइकल जैक्सन के चिह्न के ऊपर खड़े होकर फोटो खिंचाने लगी तभी सामने स्थित डिज़्नी चैनल स्टूडियोज़ से कुछ लोग आए और उन्होंने मुझे कहा कि आप इस पत्थर पर खड़े हो जाइए हमें आपका शॉट लेना है। मेरे साथ मेकअप किया हुआ एक स्टार भी खड़ा हो गया था। उन्होंने शॉट लिया और आगे निकल गए। मैं पूछ भी नहीं पाई कि यह कौन-सी मूवी है! 

हैरान होकर मैं उनकी ओर देख रही थी कि कैसे उन्होंने मुझे गाइड किया और झट शाट ले लिया। रोहित और दिशा हैरान कि आज तक तो कोई नहीं मिला। हम यहाँ कितनी बार आ चुके हैं। मम्मी! आपको लोग पकड़ ही लेते हैं। मुझे भी स्वयं पर विश्वास नहीं हो रहा था। 

इसी तरह की एक घटना फिर घटी। 

रोहित और दिशा के दो दोस्त ललित, पल्लवी और प्रणव +शरण, इन सब ने अमेरिका के प्रसिद्ध शो “जे लेनो नाईट” देखने का प्रोग्राम बनाया और मुझे साथ लेकर ‌”जे लेनो शो” देखने के लिए गए। जिसकी टिकटें सुबह 6:00 बजे ललित लाईन में लगकर लेकर आया था। जैसे हमारे यहाँ आजकल कपिल शर्मा शो होता है। 

हम लोग खचाखच भरे हॉल में एकदम दाएँ ओर जहाँ बैंड-बाजा होता है उस तरफ़ बैठे थे। कि अचानक जे लेनो ने मेरी ओर इशारा करके कहा, “अरे, आप स्टेज पर आ जाएँ!” (“Hey, you come on the stage!”) मैंने दाएँ बाएँ और पीछे देखा। उसने फिर कहा, “आप, मैरून शर्ट। स्टेज पर आएँ।” (“You, maroon shirt. Come on the stage.) मैंने कंफ़र्म किया और स्टेज पर पहुँच गई। सामने ऊपर से भी उसने एक लड़की को बुलाया। वह कैनेडा से थी। 

यह शो सारे अमेरिका में दिखाया जाता है!  उसने मुझसे पूछा, “आप कहाँ से आई हैं?” मैंने कहा, “भारत से।” उन्होंने प्रभावित होते हुए पूछा, “ओह, भारत से, दिल्ली? आइए इस म्यूज़िक पर डांस करें.”

उसके कहने पर मैंने उसके साथ डांस किया। मैं तो 20 वर्ष टीवी पर काम कर चुकी थी। इसलिए ना मैं कैमरा कॉन्शियस थी और ना ही ऑडियंस! लेकिन वह लड़की घबरा रही थी। ख़ैर, अच्छा ख़ासा शो हो गया था। डांस के बाद उसने हम दोनों को जे लेनो प्रोग्राम स्मृति चिह्न इनाम में एक टॉय दिया, जिस पर शो का नाम लिखा था। मैं उसकी फोटो ऊपर दे रही हूँ। स्टेज की फोटोस अभी नहीं मिल रही हैं। मुझे अजीबो-ग़रीब नवीन अनुभव हो रहे थे। ईश्वर की रहमत पर मैं ख़ुश थी और हैरान भी कम नहीं थी। ‌‌ सब बच्चे ख़ुश हो गए थे। 

सबसे ज़्यादा आश्चर्यचकित करने वाली बात थी कि 4 साल बाद वर्जीनिया से मेरी बहन शोभा और उसका बेटा विनी आए हुए थे दिसंबर में हमारे साथ में नया वर्ष मनाने। दिशा का भाई ध्रुव भी आया था मिशीगन से। साथ में छोटी दीया भी थी। हम लोगों का उनके साथ जे लेनो शो देखने का फिर से प्रोग्राम बन गया। रोहित दिशा हम सबको लेकर शो में गए और वैसे ही खचाखच भरे हुए हाल में हम उसी साइड जाकर बैठ गए थे। 

अचानक फिर जे लेनो ने मेरी ओर इशारा कर के कहा, “हे सुंदरी स्टेज पर आएँ!” (“Hey pretty lady come on the stage!)

मैंने पक्का किया, “मैं?” 

उसने कहा, “हाँ, आप, स्टेज पर आएँ।”

स्टेज की 4 सीढ़ियाँ चढ़कर में फिर वहाँ पहुँच गई थी जहाँ 4 साल पहले गई थी। मैंने उसे बताया कि मैं भारत से हूँ। अपने बच्चों के साथ आई हूँ। आज मेरे भाँजे का बर्थडे है। तो उसने उसे भी बुलाया और हैप्पी बर्थडे कहा। शोभा भी अपने बेटे के साथ स्टेज पर आ गई थी। वहाँ बज रहे म्यूज़िक पर हम सब थिरके, तालियाँ बजाकर बैंड को थैंक्स कहा और वापस आकर बैठ गए। 

फ़ेयरफ़ैक्स विर्जीनिया में छोटी बहन टोनी शो देख रही थी तो उसका फोन आया जोश में भरा हुआ, “यह क्या मैं अपनी बहनों को स्टेज पर देख रही हूँ जे लेनो के साथ!”Wow, it's Great! 

इस बार तो हम यही बातें करते रहे कि हमें तो यहाँ कोई जानता भी नहीं। यह घटना अविश्वसनीय लगती है। उसने कैसे मुझे ही 4 साल बाद भी बुलाया इतनी जनता में से। शोभा बोली, “दीदी तेरा Aura (आभा मण्डल) लोगों को आकर्षित करने वाला है।” समझ नहीं आ रहा था कि विश्वास करूँ कि नहीं . . .! 

अपने जीवन की अजीबोग़रीब घटनाओं के बाद आपको थाईलैंड ले चलती हूँ क्योंकि मेरी वापसी भी ‘थाई एयरवेज़’ से थी। और मैंने वापसी में बैंकॉक में 2 दिन का स्टे ले लिया था। रोहित बोला कि मेरे दोस्त गगन के ससुराल बैंक में है उनको कह दूँगा आपको घुमा देंगे। चलो कुछ तसल्ली मिली यह जानकर क्योंकि मैं अकेली थी। वहाँ होटल में जाकर सबसे पहले मैंने होटल के बाहर से डॉलर्स के बदले थाई करेंसी ली। 

फिर फ़्रेश होकर मैंने कैब (taxi) कर ली! और biggest in Asia Gems gallery चली गई। मैंने उसके विषय में पढ़ा हुआ था। जहाँ मैं देख-देख कर आश्चर्यचकित थी कि जो पत्थर देखने में साधारण लग रहे थे। तराशने पर उनमें से असली रूबी, असली नीलम (sapphire), पन्ना (emerald) आदि निकल रहे थे। Real Gems मेरा जुनून है। मूँगा तो लंका से आता है जो समुद्र किनारे पानी में होता है। और पता चला कि यह पत्थर ख़ास जगह से ही आते हैं। सारा कमाल तराशने का है। GEMS के बारे में जानना बहुत रोचक है। 

 मुझे Gems का इतना क्रेज़ था कि मैंने रोहित को कहा कि वो केमिकल इंजीनियरिंग ही करे। हम दोनों माँ बेटा Gems business करेंगे। लेकिन internet का ज़माना आ गया था तो होनी को कौन रोक सकता है? ख़ैर यह गुज़रे ज़माने की बातें हैं अब। वहाँ से तब मैं हाथी दाँत का एक कड़ा ही ख़रीद सकी थी जो मैंने हाथ में पहन लिया था क्योंकि लीगली हम हाथी दाँत (ivory) ख़रीद कर साथ नहीं ला सकते हैं। उसके बाद मैं दो बार फिर बैंकॉक गई और Gems gallery जाकर काफ़ी कुछ ख़रीदती रही। 

आख़री बार रवि जी के साथ थाईलैंड जाना हुआ था। तब तो मैं उनकी गाइड बनी रही थी। वहाँ पत्ताया, फुकेत भी मस्त tourist attractions हैं। 

मैं अपने आप में एक सकारात्मक बदलाव देख रही थी। लगता था मैं कहीं भी अकेली जा सकती हूँ। किसी भी काम को कर सकती हूँ। मैं भारत से अमेरिका भी तो अकेली आ-जा रही थी। रोहित के दोस्त गगन की सास ने मुझे कांटेक्ट किया और होटल में आकर अपने साथ घर ले गई। वही मुझे ‌थाईलैंड के मंदिरों में भी लेकर गईं और बाज़ार भी घुमाया। उनके घर में थाई नौकरानियाँ थीं। हमारे देश की आदिवासी लड़कियों जैसी लगती थीं। उन्होंने बताया कि यह बहुत सस्ते में मिल जाती हैं। 

बैंकॉक की ख़ास मार्केट में जाकर हमने थाई फ़ूड खाया जो मेरा काफ़ी पसंदीदा खाना है क्योंकि उसमें नारियल बहुतायत में होता है। और नारियल मुझे बहुत पसंद है। 

वहाँ से तथागत (Budha) की पीतल और तांबे-चाँदी की मैं दो मूर्तियाँ लेकर आई थी। बारीक़ सोने की gold and white चेनें भी ख़रीदीं। तब इतना बारीक़ काम भारत में नहीं होता था। अब तो मशीन मेड चेनें मिलती हैं। कुछ फल भी लिए जो भारत में नहीं मिलते हैं। 

बैंकॉक के मंदिर सोने के बने लगते हैं। विस्फारित नेत्रों से मैं उनको ताकती रह गई थी। मंदिर के प्रांगण में जाने के लिए 2001 में थाई $200 लगते थे। तथागत की मूर्तियाँ, हर पैगोडा में दिखाई देती हैं। सब सोने की बनी हुई हैं। और जो मुख्य मंदिर है—जहाँ तथागत की नियम से पूजा होती है, कहते हैं कि ज़मीन के भीतर से निकली थी वह डेढ़ फ़ीट की मूर्ति जो एमराल्ड (हरे पन्ना) की है और उसकी किरणें चारों ओर फैलती हैं। इतना बड़ा एमरेल्ड दुनिया में और कहीं नहीं है। वहाँ फोटो लेना मना है। 

एक मंदिर ब्राउन पत्थरों का है, जो “कम्बोडिया” में बने बुद्धा के मंदिरों सदृश्य है। जिसके बरांडे में खंबे ही खंबे हैं। भीतर दीवारों पर रामायण के रंगीन चित्र बने हुए हैं हर ओर। गर्व होता है वहाँ पर भी छाई अपनी भारतीय संस्कृति पर। 

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