छुट-पुट अफ़साने . . . एपिसोड–37

15-09-2023

छुट-पुट अफ़साने . . . एपिसोड–37

वीणा विज ’उदित’ (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

थोड़ी सैर कर लेते हैं! आपको दक्षिण भारत की ओर ले चलती हूँ। जहाँ हम श्री वेंकटेश्वरा स्वामी मंदिर तिरुपति बालाजी तिरुमलाई में भगवान विष्णु के दर्शन करेंगे। और माँ पार्वती के सात जन्मों में से एक जन्म मीनाक्षी रूप में दर्शन करके धन्य हो जाएँगे। 

बच्चे एपीजे स्कूल जालंधर में पढ़ते थे। दिसंबर की छुट्टियाँ आने पर रवि जी कहीं ना कहीं घूमने का प्रोग्राम बना लेते थे। 1983 में हम लोग ट्रेन से तिरुपति बालाजी की ओर निकल पड़े थे। अपने साथ मट्ठियाँ, पिन्नियाँ और खाने-पीने का काफ़ी सामान रख लिया था क्योंकि बच्चों को ट्रेन में बहुत भूख लगती है। हमारा सफ़र भी अच्छा ख़ासा लंबा था। ट्रेन चली नहीं कि मामा कुछ खाने को दो। पहले आलू पूरी के रोल, फिर शक्करपारे साथ ही ट्रेन में बिकने वाले मूँग के लड्डू। कोई परहेज़ नहीं था उन दिनों और कोई बीमार भी नहीं पड़ता था खाकर। 

बच्चों के लिए स्टोरीज़ ऑफ़ वैल्योर (stories of valour) का सेट रख लिया था, अपने लिए नावेल, पत्रिकाएँ और समाचारपत्र। सारे दिन सफ़र करके भी हम लोग उत्साह के कारण तरोताज़ा . . . 
रेणिगुंटा स्टेशन(Rani Gunta station) पर आधी रात को पहुँचे यहाँ स्टेशन पर मोटे-मोटे चूहे देखकर सब और फ़्रेश हो गए थे और वहाँ से सुबह 4:00 बजे से एक के बाद एक सारी बसें तिरुपति बालाजी के वेंकटेश्वरा टेंपल तिरुमला की ओर चलती थीं। क्लॉक रूम में सामान रखकर हम भी चल पड़े उस क़ाफ़िले के साथ। 

तिरुपति बालाजी मंदिर की बहुत मान्यता है। वहाँ पर सिनेमा हॉल जैसे बड़े-बड़े हॉल में लोगों को इंतज़ार में बैठाया जाता है। हम भी हॉल में बैठे थे इस इंतज़ार में कि अगली भीड़ हटे तो हमारा नंबर लगे। क्योंकि तभी वहाँ पर हॉल का दरवाज़ा खोलते हैं। नहीं तो सामने दीवार पर लगे टीवी पर दर्शन करते लोगों को देखते रहो। हॉल से बाहर निकलते ही क्रोटन पौधों के अंबार दिखाई देते हैं ख़ूब हैल्दी क्रोटेंस!! मेरी आँखों में तो आज भी वह ख़ूबसूरत रंगों वाले healthy crotons बसे हुए हैं। 

तिरूपति बालाजी में एक लाख भक्त प्रतिदिन दर्शन को आते हैं। और सोना, चाँदी, पैसा सब गुप्त रूप से दानपात्र में डालते हैं। जो सीधा नीचे हॉल में जाता है। वहाँ ऊपर काँच की खिड़कियों से देखने पर नीचे अंडर ग्राउंड हॉल में पैसों के और गहनों के ढेर दिखाई देते हैं जिन्हें वहाँ के कर्मचारी लोग अलग-अलग कर के रख रहे होते हैं। अद्भुत हैं भारत के लोग! धर्म के नाम पर इतना अधिक गहना दान करते हैं कि अपनी खुली आँखों से देख कर भी विश्वास नहीं होता। पता चला मंदिर वाले अपनी यूनिवर्सिटी चलाते हैं दान के पैसों से। चलो कुछ तसल्ली हुई जानकर . . .! 

तिरुपति बालाजी में दक्षिण भारतीय लोग बाल अवश्य उतरवाते हैं और गंजे होकर घर जाते हैं। गंजे आदमी और औरतें शान से शहर में घूमते हैं कि लोगों को पता चले हम बालाजी के दर्शन करके आए हैं। वहाँ बालों का बहुत बड़ी तादाद में बिज़नेस होता हैं। श्रद्धालुओं को ज्ञान नहीं था कि उनके बाल साफ़ हो कर निर्यात होते हैं। बाल उतरवाने के लिए मंदिर के बाहर बड़े-बड़े शैड बने हुए हैं। जहाँ ढेरों नाई बैठे पुरुषों, स्त्रियों और बच्चोंके बाल उस्तरे से उतार रहे होते हैं। 

तत्पश्चात् हम ट्रेन से ‘मदुराई’ गए। वहाँ Meenakshi Mills के मालिक के घर हमारा रहने का इंतज़ाम मेरे भैया ने करवाया था, वे बेसब्री से हमारा इंतज़ार कर रहे थे। बच्चों को सबसे अधिक आनंद वहीं आया क्योंकि वहाँ बाग़-बग़ीचा और ढेरों मूर्तियाँ थीं। पेड़ों पर झूले लगे थे। डायनिंग हॉल में इतना बड़ा टेबल था कि उसमें 34 (चौंतीस) कुर्सियाँ लगी थीं। उन मारवाड़ी दंपती ने बहुत प्रेम पूर्वक हमारी आवभगत की। घर के भीतर मंदिर था जिसमें सफ़ेद संगमरमर की एक ही मूर्ति थी बाँसुरी वाले श्री कृष्ण की। वहाँ से लौटकर मेरे मन में कान्हा की वो छवि समा गई थी। और कुछ वर्षों बाद मैं भी वैसे कान्हा अपने घर ले आई। 

मदुराई में मीनाक्षी मंदिर बेहद भव्य और शानदार है। उस की बाहरी दीवारों पर बने structures रंग-बिरंगे हैं। कहते हैं वहाँ के पांड्य राजाओं के घर माँ पार्वती ने जन्म लिया जिसका नाम मीनाक्षी अर्थात्‌ मछली के आकार की आँखों वाली देवी का था। वहाँ शंकर भगवान सुंदरेश्वर का रूप धरकर उनको ब्याहने आए थे। मीनाक्षी अम्मा टेंपल में चारों तरफ़ सीढ़ियाँ, ऊपर खंबे वाले बरामदे और बीच में स्वच्छ व सुंदर सरोवर है। मंदिर के architecture को वहाँ लोग दुनिया का सातवाँ अजूबा मानते हैं। ख़ैर, मैंने यह नहीं सुना था। ठीक है उनकी आस्था है। 

वहाँ से हम Kodaikanal hill station घूमने के लिए गए। वहाँ पर बहुत बड़ी झील Kodai Lake है। झील में एक बहुत ऊँचे जलप्रपात या झरने से पानी आता था जो उस समय शांत बह रहा था क्योंकि वे सर्दियों के दिन थे। Thalaivar falls को देखने के लिए पूरी गर्दन ऊँची करनी पड़ती है। झील में कश्मीरी शिकारे जैसी छत वाली नौका में टूरिस्ट झील में नौका विहार करते हैं। 

जहाँ तक नज़र जाती है ख़ूब घनी हरियाली दिखाई देती है वह‌ Green valley View (suicide point) कहलाता है। वहाँ Pillar Rock भी है, जो सीधी चट्टानें हैं। ये यहाँ 5000 फ़ीट गहरी और घनी ख़तरनाक घाटियाँ हैं। यह सीधी, गहरी घाटियाँ और पहाड़ियाँ हैं। इन नैनाभिराम दृश्यों ने हमारा मन मोह लिया था। 

इस तरह पूरा एक दिन enjoy करके हम वापस मदुराई आ गए थे। अब तैयारी थी आगे जाने की . . . . . . 

अगली बार आप को फिर से दक्षिण की ओर ले चलूँगी क्योंकि हम चार साल लगातार दक्षिण की ओर घूमने जाते रहे थे। 

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