तुम बीज बनकर लौटना 

01-03-2025

तुम बीज बनकर लौटना 

महेश कुमार केशरी  (अंक: 272, मार्च प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

मैं जब प्रार्थना करूँगा 
ईश्वर से या 
कि जब तुम भी जाना उस ईश्वर की चौखट पर 
तो उससे कहना 
तुम बीज बनकर लौटना 
उस बीज में समाहित हों इस 
धरती के बचे रहने की तमाम
संभावनाएँ
 
जब जाओ ईश्वर की चौखट 
पर
तो प्रार्थना करना और प्रार्थना में 
ये माँगना कि हमारी धरती बची रहे 
एक बीज के रूप में जिसमें 
बची रहे उस पर हरियाली . . .
और बचा रहे हर कुँए में पानी 
बचा रहे हर खेत की मेंड से चार मेंड 
दूर हरा भरा पेड़ 
 
और माँगना अपनी प्रार्थना में कि 
बचे रहें हमारे हल 
-बैल और खेती करने वाले 
किसान . . .
 
माँगना—अपनी प्रार्थना में कि 
बची रहें ऋतुएँ और बारिश का पानी . . .
और साइबेरिया से ठंड में लौट आने 
वाले पक्षी 
 
और जब प्रार्थना करना तो ये भी माँगना 
कि हमारे जंगल बचे रहें 
बचे रहें उसमें शेर, चीता, भालू, हाथी, 
कोयल, कौए, 
ताकि, हमारा बचपन और
जंगल की कहानियाँ बची रहें
जहाँ हमारा बचपन ज़िन्दा रहे 
और इस तरह से ही हम 
इस धरती पर बचे रहें! 
एक बीज के रूप में
हम सबको बीज बना देना और 
रख लेना अपने पास सुरक्षित! 
हमारे बचपन, खेत, खलिहान, हरियाली, हल 
बैल को एक बीज में परिवर्तित कर देना! 
जिससे 
धरती पर उग आये बार-बार जीवन! 

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