भावना के पुष्प

15-08-2020

भावना के पुष्प

सुषमा दीक्षित शुक्ला  (अंक: 162, अगस्त द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

ये भावना के पुष्प सादर,
प्रभु  समर्पित है तुम्हें। 
 
प्रेम धागे में पिरो कर,
कर  रही अर्पित तुम्हें।
 
है कामना अब तो प्रभु,
कोई   ना हमसे भूल हो।
 
अब  प्रेम की गंगा बहे,
ना नफ़रतों के शूल हों।
 
ये कठिन जीवन अग्निपथ,
ना भटक जाऊँ ज्ञान दो।
 
बस नेक रस्तों पर चलूँ,
हरदम तुम्हारा ध्यान हो।
 
सुन हे!प्रभु परमात्मा,
तुमसे  मेरी  याचना।
 
निज प्यार से मत दूर कर,
तेरी शरण की कामना।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
किशोर साहित्य कविता
स्मृति लेख
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
दोहे
कविता-मुक्तक
गीत-नवगीत
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में