पिता याद आ जाते हैं

01-07-2024

पिता याद आ जाते हैं

मंजु आनंद (अंक: 256, जुलाई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

पिता याद आ जाते हैं, 
जब कभी कोई परेशानी मुझे घेर लेती थी, 
राह कोई ना मुझे नज़र आती थी, 
पिता रख देते अपना हाथ मेरे सर पर, 
और बड़े ही प्यार से कहते मुझे, 
मैं हूँ ना बेटी तू धीरज धर, 
आज भी जब जब परेशानियों से घिर जाती हूँ, 
पिता को अपने पास पाती हूँ, 
आज भी पिता की आवाज़ सुनाई देती है, 
मानो कह रहे हों . . . 
मैं हूँ ना बेटी तू धीरज धर, 
पिता के हाथ का स्पर्श आज भी, 
सर पर महसूस करती हूँ, 
आँखें नम हो जाती हैं, 
पिता याद आ जाते हैं। 

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